Saste Ka Chakkar Class 8 Hindi Vyakhya | सस्ते का चक्कर पाठ का व्‍याख्‍या

यहाँ NCERT कक्षा 8 के हिन्‍दी के दूर्वा भाग 3 के पाठ 8 सस्ते का चक्कर के व्‍याख्‍या काे पढ़ने जा रहे हैंं, जिसके लेखक सूर्यबाला है। Saste Ka Chakkar Class 8 Hindi Vyakhya

Saste ka chakkar class 8 hindi vyakhya

पाठ-8 सस्ते का चक्कर

(छुट्टी के घंटे की आवाज सुनाई देती है 10 बच्चे एक दूसरे को धक्का मुक्की करते हँसते चिढ़ाते बैग गिराते भागते हुए चले जाते हैं । बीच-बीच में स्टेज के अंदर से फेरी वाले के मजेदार आवाजें सुनाई देती हैं । कुरकुरे चटखारेदार, येई तरावटी आइसक्रीम, खट्टी गोलियाँ, ठंडा शरबत नींबू संतरे का…. अजय और नरेंद्र आते हैं उमर में 9 10 साल अजय दुबला पतला, नरेंद्र तगड़ा….. लगतार चटर मटर की आवाज करता हुआ नरेंद्र चूरन खा रहा है)

नरेंद्र नकल करते हुए कहता है अरे अजय इस समय रोज लेफ्ट राइट पयजामा ढीला टोपी टाइट करता रहता है ना आज अभी कैसे? टीचर ने ड्रामा से निकाल दिया क्या ? अजय कहता है नहीं आज मम्मी की तबीयत कुछ खराब थी इसि‍लए मैंने टीचर छुट्टी ले ली । मेरा पाठ मुझे तो पूरा याद है मैंने सोचा मम्मी तो मुझे रोज चाय नाश्ता कराती है आज मैं उन्‍हे चाय नाश्ता कराउँगा तो वह खुश हो जाएगी ।  

बिना सुने नरेंद्र कहता है वाह इसी बात पर चूरन खा बहुत ही मजेदार है । और तू  सारे दिन इतना पढ़ाई लिखाई, ड्रामा, डिबेट में मेहनत क्यों करता है । मुझे देख मौज मस्ती, खेल, तमाशा सब में खुशी से रहता हूँ । फिर लॉलीपॉप बेचता हुआ एक आदमी आता है 50 पैसे में तीन लॉलीपॉप कहता हुआ नरेंद्र चौक कर कहता है सुना तूने 50 पैसे में तीन लॉलीपॉप मिल रहे हैं यानी कि 1रू. में 6 लॉलीपॉप वाह तो मजा ही आ जाएगा । मेरे सारे पैसे खत्म हो गए चूरन, चुस्की, आइसक्रीम ले ली तो अजय तेरे पास होंगे कुछ पैसे तो दे दो । अजय करता है एक भी नहीं नरेंद्र कहता है अरे उधार दे दे यार । कल तुझे 50 पैसे ज्यादा लौटा दूँगा, समझ क्या रखा है?

मैंने आज फीस नहीं दी आज उसके पैसे से ही उसी से ले लेता हूँ  । अजय समझाता हुए कहता है देख नरेंद्र तू हमेशा बिना सोचे समझे काम करता रहता है मेरी बात मान इस आदमी से लॉलीपॉप मत खरीद । मुझे लगता है ये नुक्सानदेह या ख़राब माल उठाकर लाया है या तो फिर कहीं से चुरा कर लाया है । मेरी मम्मी कहती है । नरेंद्र कहता है सच तू जरूरी से ज्यादा सोचता है ।

अरे देख लॉलीपॉप वाला तेरे बातों में तो निकल गया । वह देख, वह रहा, वह जा रहा, अरे रुक ना भाई । अजय तू यहीं रूक मैं अभी लेकर आया और हाँ मैंने अपने रिक्शे के पैसे की तो चूरन चुस्की खाली प्लीज अपने साथ ही रिक्शे में लेते चलो । रूक बस में अभी आता हूँ और कह कर वह चला जाता है। अजय इधर उधर टहलता रहता है और इंतजार करता रहता है । अजय कहता है नरेंद्र को कभी अकल ही नहीं आएगा सब सड़ी गली चीजें खाता रहता है और वार्षिक परीक्षा में बीमार पड़ जाएगा और आंटी जब डांटेगी की तो फिर झूठ बोल लेगा बेचारी आंटी ।

दो-तीन बच्चे आते हैं पहला लड़का कहता है क्या अजय तू तो कब का टीचर से छुट्टी लेकर आया था यहाँ क्या कर रहा है अजय कहता है क्या करूं मुझे खुद इतनी देर हो रही है नरेंद्र कब का उधर लॉलीपॉप लेने गया था, लेकिन अब तक नहीं लौटा उसने मेरे साथ मेरे रिक्शे में जाने के लिए कहा था । इसलिए मैं यहाँ रुका हूँ । दूसरा लड़का कहता कौन नरेंद्र उसे मैंने काफी देर पहले एक आदमी के साथ पीछे वाले आम के बगीचे में जाते देखा था । मैंने पूछा भी था उसने बोला था उसके पास छुट्टे पैसे नहीं है वही लेने जा रहा हूँ । तीसरा लड़का कहता है अरे जा तू घर जा नरेंद्र को जानता नहीं है क्‍या?

फिर तीसरा लड़का कहता है आता है तो आजा मेरे साथ तुझे तेरे घर तक छोड़ दूँगा । अजय सोचता हुआ कहता है नहीं सुभाष मुझे डर है कहीं वह आदमी कोई बदमाश तो नहीं लड़कों से कहता है तुम सब साथ में आओ ना देखा जाए । कहीं नरेंद्र सच में…. 

पहला लड़का कहता है ना बाबा ना उसकी जासुसी हमसे नहीं होगी । वैसे ही देर हो रही है मेरी मम्मी मानने वाली नहीं है मैं तो चला । नरेंद्र की नरेंद्र जाने’ जैसा करेगा वैसा भरेगा हम क्यों अपनी जान खतरे में डाले उसकी वजह से । दूसरा तीसरे लड़के से कहता है चल हम भी जल्दी चले नरेंद्र के फेर में कहीं भी आफत में फँस गए तो खैर नहीं बाय-बाय अजय जाते हुए कहते हैं ।

अजय थका हुआ उदास परेशान होकर इधर उधर टहलता रहता है सोचता है कहाँ गया नरेंद्र आखिर अब तो बहुत देर हो गई है रास्ता भी सुनसान हो गया स्कूल में भी कोई नहीं किस से पुछू क्या करूँ और फिर सरसराहट की आवाज सुनाई देती है जो आम के बगीचे की तरफ से आरही होती है । छुपकर बगीचे की ओर चलता हूँ आखिर नरेंद्र गया तो गया किधर ?

नरेंद्र की मम्मी रेखा अजय की मम्मी मिसेज मेहता के घर आती है मिसेज मेहता कहती है कौन रेखा जी नमस्ते बैठिए रेखा घबराई हुई आवाज में कहती है नहीं बैठूँगी बहन मैं पूछने आई हूँ कि क्या आपका अजय घर पर आ गया है मेरा नरेंद्र अभी तक घर पर नहीं लौटा है मिसेज मेहता कहती है आया तो अजय भी नहीं है पर साला जलसे की प्रैक्टिस में देर हो जाती है लेकिन आज मेरी तबीयत भी कुछ नहीं है पर सुबह अजय मुझसे कह कर गया था कि मैं आज टिचर से जल्दी छुट्टी माँग कर घर आ जाऊँगा लेकिन शायद उसकी टीचर ने उसे छुट्टी न

दी हो और नरेंद्र भी उसके साथ रुक गया हो यह भी हो सकता है ना । रेखा कहती है नहीं बहन नरेंद्र थोड़ा शरारती है न इसी से हमेशा डर लगा हुआ रहता है । देखिए 1:00 बजे छुट्टी होती है और 2:30 बज रहे हैं मि‍सेज मेहता कहती है सचमुच में क्या । मुझे तो दवा खा कर निंद आ गई थी तो मुझे टाइम का पता ही नहीं चला अभी तक तो अजय को भी घर वापस आ जाना चाहिए था ।

तो दोनो की माँ बच्‍चों को ढ़ूँढ़ने के लिए जाने का सोंचती है । रिक्सा बुलाने के लिए रेखा जैसे ही पिछे की ओर मुड़ती है तब तक सामने बच्चे को देखकर खुशी से चिल्लाती है आ गए बहन बच्चे देखिये मिसेज मेहता कहती हैं पर दोनों के साथ ये पुलिस इंस्पेक्टर क्या कर रहे है । इंस्पेक्टर कहता है मिस्टर मेहता का घर यहीं है । जी हाँ । जी कहिये । मिसेज मेहता कहती है जी अजय है इसका नाम क्या किया इसने ।

इंस्पेक्टर कहता है आज तो इसने वह शाबाशी का काम किया है कि आप सुनेंगे तो गर्व से झूम उठेंगे ।

मि‍सेज मेहता कहती हैं क्या? मैं तो इससे नाराज हो रही थी कि टाइम पर घर वापस नहीं आया । इंस्पेक्टर हँस कर कहता है अपने इस दोस्त नरेंद्र की जान बचाई है और एक बड़े बदमाश की सरदार

को पकड़ावाया है । मि‍सेज मेहता कहती है ओ कैसे?

 इंस्पेक्टर जी कहते हैं अब ये सब तो आप खुद ही सुन लीजिए । अजय सारी बात बताता है

कहता है मम्मी आज मैंने टीचर से जल्दी छुट्टी माँग ली थी तुम्हारी तबीयत खराब थी तो पर बाहर निकला तो नरेंद्र मुझे मिल गया वहाँ पर एक आदमी 50 पैसे में तीन लॉलीपॉप बेच रहा था मैंने नरेंद्र को मना भी किया लेकिन वह नहीं माना लॉलीपॉप सुन कर वह अपने आप को रोक नहीं पाया मैं उसका इंतजार करने लगा । तब मुझे एक सरसराहट की आवाज सुनाई दी इसे पहले की मैंने एक दोस्त को बताया था तो उसने कहा कि वाह लॉलीपॉप वाले के पीछे छूटे पैसे लेने के लिए गया है रेखा जी कहती हैं तो फिर तुने क्या किया बेटे ।

अजय कहता है मैं चुपके चुपके नरेंद्र का बैग मुझे नीचे पड़ा मिला यह देख कर मैं हैरान हो गया तो मुझे दूर ही एक आदमी का बड़ा सा थैला पीठ पर रखी काली चादर ओढ़े चला जा रहा था तो मुझे मेरी मम्मी की कही बदमाशों की कहानियाँ याद आ गई की बच्चे को उठाकर ले जाते हैं । रास्ता सुना था इसलिए मैं चुपचाप उसके पीछे बिना आवाज किए हुए जा रहा था, चलते-चलते मेरा पैर बिल्कुल थक गया था । पर वह अचानक एक सुनसान पतली सड़क से मुड़ गया मुझे समझ में नहीं आया कि मैं क्या करू ?

तो फ़िर पास में ही मुझे एक पुलिस स्टेशन दिखाई दी मैं झट से वहाँ गया और सारी बात इंस्पेक्टर साहब को बताया ।

इंस्पेक्टर साहब कहते हैं वाह सुना आपने मि‍सेज मेहता । तभी रेखा कहती थी अजय बेटा आज तू ना होता तो नरेंद्र का क्या हाल होता है । तो अजय की माँ कहती है दोस्त होकर इतना भी ना करता रेखा बहन । फिर दोस्ती का मतलब ही क्‍या रहा अगर मुसीबत में दोस्त एक दूसरे की काम ना आए तो रेखा कहती है आज मैं अपने साथ इसे बाजार ले जाऊँगी अजय को । और इसके मनपसंद की शानदार इनाम दिलाऊँगी ।

इंस्पेक्टर कहते हैं शानदार इनाम तो अजय को प्रधानमंत्री जी से मिलेगी सब एक साथ कहा क्या? इंस्पेक्टर साहब कहते हैं जी हाँ हर साल हमारे देश में सरकार की तरफ से बहादुर बच्चों को उनके काम के लिए पुरस्कार दिया जाता है इस बार संयुक्त राष्ट्र पुरस्कार में हमारे अजय का नाम भी उनमें शामिल शामिल होगा । अच्छा तो आग्‍या दीजिए मैं चलता हूँ अजय बेटे एक बार फिर से तुम्हारी शाबाशी के हिसाब से तुम्हारी पीठ ठोक दूँ । अजय कहता है धन्यवाद इंस्पेक्टर साहब अभी तो आपकी पहली बार की शाबाशी पिट पर ठोकी हुई जिससे मेरा पीठ दर्द हो रहा है मिसेज मेहता प्यार से कहती है चुप ।

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